आज दुनिया का जादू हटाया जाए,
आज इस शाम की कदर हो जाए।
नारों से मोहित जनता रस्ता देखे बहारों का,
बेहतर हो अगर क़यामत का इंतजार किया जाए।
खुदा, इंसान, शैतान; क्या बने फिरते हो,
तुम बिको औकात-अनुसार जे रूपया रब कहाए।
भूला दो गाय, सूअर, बकरो को,
मुद्दा इंसान है, इनपर विचार बतलाएं।
क्या पर्दे, हिजाब, नक़ाब करे हो,
हटाओ तो चेहरा नजर आये।
Hizab nakab
Sir last line is awesome
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शुक्रिया मित्र। आपका आभारी हूँ।
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